आज इस पोस्ट में हम आपको विश्व महामारी कोरोनावायरस के बारे में पूरी जानकारी देंगे। जैसे:-
1. यह वायरस कब और कहां से उत्पन्न हुआ?
2. कोरोनावायरस के लक्षण क्या है,?
3. इस खतरनाक वायरस से किस तरह बचा जा सकता है?
4. वर्तमान में इसका इलाज संभव है या नहीं?
5. कोरोनावायरस को कोविड-19 क्यों कहा जाता है?
6. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन आपको क्या करने की सलाह देता है?
कोरोनावायरस ने इस समय पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है। आज 18 अप्रैल 2020 को पूरी दुनिया में संक्रमित लोगों की संख्या 2,275,738 है और मरने वालों की संख्या 156104 हो गई है। वहीं अभी तक 582443 लोग रीकवर कर चुके है। यानी पूरी तरह से सही होकर अपने घर जा चुके हैं और यह सब पिछले 5 महीनों में हुआ है। तो इस आंकड़े से ही आप अंदाजा लगा सकते हैं कि coronavirus कितना खतरनाक है और यह किस तरह मानव जीवन को हानि पहुंचा सकता है।
Coronavirus कब और कहां से उत्पन्न हुआ?
यह वायरस या विषाणु स्तनधारियों में पाया जाता है जैसे चमगादड़,गिलहरी, हिरण, व्हेल मछली, भालू, जेब्रा, हाथी, कंगारू आदि में पाया जाता है। यह वायरस जानवरों से इंसानों में कैसे आया इसको लेकर इस समय दो धारणाएं हैं। पहले की यह चमगादड़ से इंसानों में आया है और दूसरी की यह एक बायोवेपन है। जिस पर चीन काम कर रहा था और यह प्रयोग के दौरान गलती से लीक हो गया।
जानवरों से इंसानों में कैसे आया?
जैसा कि हमने पहले बताया है कि यह वायरस जानवरों में पाया जाता है और चीन के लोग जीव-जंतु से लेकर हर तरह के जानवर खाना पसंद करते हैं। चीन के वूहान शहर में एक बहुत बड़ी मीट की बाजार है। जहां पर 180 से ज्यादा किस्म के जानवरों का मीट बिकता है। इस बाजार में सांप, चमगादड़, भालू, कुत्ते,सुअर, बिल्ली, घोड़ा, बंदर, मछली व जहरीली मछलियां, ऑक्टोपस आधे बहुत तरह के जानवर बिकते हैं।
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चीन के लोग यह सब जानवर कयी वर्षा से खा रहे हैं पर अब चीन के लोग इन जानवरों को पकाने की जगह कच्चा (जिंदा) खाने लगे हैं। जिससे कि इन जानवरों में मौजूद कीटाणु-विषाणु मर नहीं पाते और वो सीधे मानव के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। Coronavirus के इंसानों में आने का सबसे बड़ा कारण यही माना जा रहा है।
चीन बना रहा था बायोवेपन
एक तरफ कोरोनावायरस जानवरों से इंसानों में आने के बाद चल रही है, वहीं दूसरी तरफ यह भी आरोप चीन पर लगाया जा रहा है कि चीन ने जानवरों से Coronavirus को निकाला है। इससे बायोवेपन बनाने की तैयारी कर रहा था और यह परीक्षण के दौरान लीक हो गया और पूरी दुनिया में फैल गया।
चीन के वुहान शहर में एक इंस्टिट्यूट है। जिसका नाम इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी है। इस इंस्टीट्यूट में कई तरह के वायरसों पर शोध किया जाता है। इस इंस्टिट्यूट में सार्स कोरोनावायरस के ऊपर 2005 में रिसर्च करके एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी। की घोड़े की नाल के आकार के दिखने वाले चमगादड़ में कोरोनावायरस पाया जाता है। इस पर आगे भी रिसर्च जारी रही और 2015 आते-आते चीन ने हजारों घोड़े की नाल के आकार के चमगादड़ों के नमूने लिए। जो 300 से अधिक चमगादड़ों कोरोना वायरस अनुक्रमांक अलग करता है। 2015 में चीन के वैज्ञानिकों ने इन सभी पर किया गया शोध की रिपोर्ट को प्रस्तुत किया। इस वायरस पर शोध करने का कारण कैंसर के प्रभाव को कम या खत्म करने के लिए किया जा रहा था।
(8 फरवरी 1951 में सर्वाइकल कैंसर कोशिकाओं से ली गई थी। सबसे पुरानी और सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली मानव कोशिका रेखा है। जिसे “हेला” कहते हैं।) हेला को संक्रमित करने के लिए SHC014-CoV जो सार्स कोरोनावायरस है, उसे बनाया जाता है। वैज्ञानिकों ने एक संकर वायरस का निर्माण किया। इसमें सार्स वायरस के साथ एक बैट कोरोनावायरस का संयोजन किया गया था। जो चूहों और मानव रोग की नकल करने के लिए अनुकूलित था।