गामा ने अपने करियर के दौरान कई खिताब अर्जित किए और भारत का नाम रौशन किया, उन्हें अपराजित योद्धा के रूप में जाना जाता है।

गामा पहलवान का असली नाम गुलाम मोहम्मद बख्श बट था। वे सर्वश्रेष्ठ पहलवानों में से एक थे और अपने पूरे अंतरराष्ट्रीय मैचों में अपराजित रहने के बाद उन्होंने 'द ग्रेट गामा' नाम दिया गया।

गुलाम मोहम्मद बख्श बट का जन्म पंजाब के अमृतसर जिले के जब्बोवाल गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से सफलता हासिल की और देश का नाम रौशन किया। 

जब गामा पहलवान 10 साल के थे, तब उनके वर्कआउट रूटीन में 500 पुशअप शामिल थे। ऐसा आज भी किसी के लिए करना आसान नहीं है। 

गामा पहलवान ने 15 साल की उम्र के बाद कुश्ती में कदम रखा और राष्ट्रीय नायक और विश्व चैंपियन के रूप में भारतीय अखबारों में सुर्खियां बटोरीं। 

1947 में जब भारत से अलग होकर पाकिस्तान बना तो गामा पहलवान पाकिस्तान के लाहौर में रहते थे। उन्होंने विभाजन के समय कई लोगों की जान बचायी। 

गामा पहलवान ने अपने शेष दिन 1960 में लाहौर में अपनी मृत्यु तक बिताए, लेकिन वो आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। 

प्रिंस ऑफ वेल्स ने महान पहलवान को सम्मानित करने के लिए अपनी भारत यात्रा के दौरान गामा पहलवान को चांदी की गदा भेंट की। 

ब्रूस ली जो की एक मार्शल आर्टिस्ट थे, वो भी गामा पहलवान की प्रशंशा करते थे। इसके साथ ही उनके प्रतिद्वंद्वी भी उनकी तारीफ करते थे। 

विश्व हैवीवेट चैम्पियनशिप 1910 में और विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप 1927 के भारतीय संस्करण को जीता। इसके साथ ही गामा ने अपने करियर के दौरान कई खिताब अर्जित किए। 

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